19 April 2018

कुछ बातें

कुछ बातें
अपनी शुरुआत से ही
निकल पड़ती हैं
अंतहीन मंज़िल की ओर
पार करते हुए
कई
चाहे-अनचाहे रास्ते।
.रास्ते
जिन पर मिलते हैं
कई सुनने वाले
सुनकर लिखने वाले
सोचने वाले
विचार बनाने वाले
और
उन बातों को
नयी राह की ओर
ले जाने वाले।
यह सिलसिला
चलता रहता है
यह सिलसिला
चलता रहेगा
क्योंकि
कुछ बातें
एक शून्य से
शुरू हो कर
अनंत शून्यों तक की
अपनी यात्रा में
लेतीं नहीं कहीं भी
अर्द्ध या
पूर्ण विराम।

-यश ©
19/04/2018

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21-04-2017) को "बातों में है बात" (चर्चा अंक-2947) (चर्चा अंक-2941) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बातें कैसी भी हों , उनका कहीं अंत नहीं ......
    बहुत सुन्दर

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