तन से मैला पर मन से सच्चा है
गुरबत में जी कर भी
खुद में अच्छा है
वो मजदूर का बच्चा है।
वो देखता है रोज़
नयी इमारतों को बनते
किसी और के ख्वाबों को
नये रंगों में ढलते।
उसे फूलों की नहीं, ईंट,मौरंग
और सीमेंट की खुशबू पसंद है
उसे संगीत की नहीं
छैनी-हथोड़े की हर धुन पसंद है।
वो अक्सर सुनता है खंडहरों
और बंजर धरती की कहानियाँ
जिन पर खुदी नींवें
अब छूती हैं ऊँचाइयाँ।
भीतर से मजबूत पर बाहर से कच्चा है
घरौंदे सा उसका घर
महलों से अच्छा है
वो मजदूर का बच्चा है।
यश ©
26/04/2018
गुरबत में जी कर भी
खुद में अच्छा है
वो मजदूर का बच्चा है।
वो देखता है रोज़
नयी इमारतों को बनते
किसी और के ख्वाबों को
नये रंगों में ढलते।
उसे फूलों की नहीं, ईंट,मौरंग
और सीमेंट की खुशबू पसंद है
उसे संगीत की नहीं
छैनी-हथोड़े की हर धुन पसंद है।
वो अक्सर सुनता है खंडहरों
और बंजर धरती की कहानियाँ
जिन पर खुदी नींवें
अब छूती हैं ऊँचाइयाँ।
भीतर से मजबूत पर बाहर से कच्चा है
घरौंदे सा उसका घर
महलों से अच्छा है
वो मजदूर का बच्चा है।
यश ©
26/04/2018
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुती.
ReplyDeleteस्वागत हैं आपका खैर