यूं ही
समय के
इस खालीपन में
खुद से
बातें करता हुआ
अतीत के झरोखों से
अपने
आज को देखता हुआ
कभी-कभी सोचता हूँ
क्या रखा है
धारा के साथ बहने में
या
धारा के विपरीत चलने में
एक आसान है
दूसरा कठिन
मगर चुनना तो है ही
किसी एक को
वक़्त के इस कत्लखाने में
खुद का अस्तित्व
कायम रखने के लिए।
-यश ©
28/06/2018
समय के
इस खालीपन में
खुद से
बातें करता हुआ
अतीत के झरोखों से
अपने
आज को देखता हुआ
कभी-कभी सोचता हूँ
क्या रखा है
धारा के साथ बहने में
या
धारा के विपरीत चलने में
एक आसान है
दूसरा कठिन
मगर चुनना तो है ही
किसी एक को
वक़्त के इस कत्लखाने में
खुद का अस्तित्व
कायम रखने के लिए।
-यश ©
28/06/2018