दीप जलें कुछ ऐसे जग में
उजियारा हर कहीं हो जाए
जन जन में उल्लास बसे
भूखा न कहीं कोई सो पाए।
मिले सद्बुद्धि हर जन-मन को
ऋद्धि-सिद्धि से युक्त सभी हों
आशा के हर गीत को गा कर
गहन निराशा से मुक्त सभी हों।
समय की बहती इस धारा में
मन का तमस गर मिट जाए
भेद-भाव से रहित दीवाली
ज्योतिर्मय सब को कर जाए।
-यश©
मंगलकामनाएंं दीपपर्व की।
ReplyDelete