चित्र सौजन्य-The Eyes of Children around the World |
आखिर क्यूँ ये दहशत, क्यूँ आँखों में सूनापन है ?
क्यूँ डरा सा, सहमा सा ,क्यूँ काँटों सा बचपन है ?
यौवन की देहरी आने में, समय बहुत सा बाकी है ।
झूलों में, मैदानों में, खेलने की उमर भी बाकी है ।
फिर क्यूँ गुम हुआ चहकना,गया कहाँ वह सच्चापन है ?
मन की अपने जो था करता ,कहाँ गया वह बच्चापन है?
–यश ©
05/12/2018
मार्मिक..
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