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03 December 2018

बस ऐसे ही चलना है

चित्र सौजन्य- The Eyes of Children around the World
है ये किस्मत मेरी कि मुझे इसी जंजाल में रहना है।
बोझों से घिरे रह कर, न पढ़ना है न लिखना है।
दो जून की रोटी माँ बनाकर तभी खिलाएगी
जब शाम को चंद सिक्के उसके हाथों में रखना है।
ये न पूछना मुझसे कि, बनूँगा क्या बड़ा हो कर 
मज़दूर हूँ मेरा काम तो औरों की तकदीर बदलना है।
है ये किस्मत मेरी कि मुझे इसी हाल में रहना है
क्या होगा कुछ कहने से बस ऐसे ही चलना है।
-यश©
02/12/2018

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