बीत जाते हैं दिन
बीत जाती हैं रातें
रह जाती हैं केवल
कुछ अनकही बातें।
बातें जो मैं करके खुद से
खुद को ही समझाता हूँ
मन के किसी किनारे पर
फिर भी बैठा रह जाता हूँ।
ख्यालों का कोई अन्त नहीं
दोहराती खुद को जैसे रातें
कभी गुज़र कर कहीं ठहर कर
होती रहेंगी अपनी बातें।
यश ©
27/जनवरी/2019