सुनो!...ये समय जो चल रहा है न ...न जाने क्यों कभी-कभी ऐसा लगता है कि ...काश! कभी रुक पाता।..... काश! कभी कह पता वह भी अपने मन की। हम तो चूंकि इंसान हैं ...या कहें कि प्राणी हैं.... क्योंकि हम सब अपनी अपनी भाषा में....अपने-अपने तरीके से समय के इन्हीं पलों में ....एक दूसरे ....से कुछ न कुछ कह-सुन लेते हैं ...अपना मन हलका कर लेते हैं ...लेकिन लगातार चलता हुआ यह समय बहुत चाह कर भी ...अपने मन की कुछ कह नहीं कह पाता ...क्योंकि...समय की नियति में सिर्फ चलना है....निर्बाध चलना ।......बस चलना और सिर्फ चलते ही रहना । यह समय....अगर कभी कुछ भी कह पाया ....तो निश्चित ही समय के साथ हम सब ...बस ठहर ही जाएंगे ....हमेशा के लिए।
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-यश©
05/02/2019
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-यश©
05/02/2019
चलते रहें समय के साथ कभी थोड़ा आगे कभी थोड़ा पीछे भी :)
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