क्या होगा
उस नफरत से
जो बाँटती है
इंसान को
आपस ही में?
क्या होगा
उस दहशत से
जो पसरती जा रही है
दिलो-जान में?
.
कहीं
एक तरफ
मची हुई हैं
चीखें-पुकारें
बिखरी हुई हैं
छिन्न-भिन्न लाशें
आंसुओं के सैलाब
और गम.... ।
तो कहीं
दूसरी तरफ
हम जैसा ही कोई
मना रहा है
खुशियाँ
सिर्फ इसलिए
कि मरने वाले की
दूसरी थी कौम ।
.
हम
बुरी तरह
फंस चुके हैं
अपने अहं
और तुष्टि के
माया जाल में
बिना सत्य को जाने
वास्तविकता को
दरकिनार करते हुए
गहरे अंधेरे की ओर
बढ़ते ये कदम
अगर न थमे
कहीं पहले
तो सदियाँ लगेंगी
फिर से
उजियारा आने में।
-यश©
17-मार्च-2019
उस नफरत से
जो बाँटती है
इंसान को
आपस ही में?
क्या होगा
उस दहशत से
जो पसरती जा रही है
दिलो-जान में?
.
कहीं
एक तरफ
मची हुई हैं
चीखें-पुकारें
बिखरी हुई हैं
छिन्न-भिन्न लाशें
आंसुओं के सैलाब
और गम.... ।
तो कहीं
दूसरी तरफ
हम जैसा ही कोई
मना रहा है
खुशियाँ
सिर्फ इसलिए
कि मरने वाले की
दूसरी थी कौम ।
.
हम
बुरी तरह
फंस चुके हैं
अपने अहं
और तुष्टि के
माया जाल में
बिना सत्य को जाने
वास्तविकता को
दरकिनार करते हुए
गहरे अंधेरे की ओर
बढ़ते ये कदम
अगर न थमे
कहीं पहले
तो सदियाँ लगेंगी
फिर से
उजियारा आने में।
-यश©
17-मार्च-2019
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