क्योंकि वो नौकरी करता है
दिन भर
कोई अपने दफ्तर में
कोई हर मौसम में
बदज़ुबानी और
जिल्लत को जीता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
क्योंकि वो नौकरी करता है
लौट कर
अपने छोटे से घोंसले में
बे-हौसला, बे-हाल
बस उनींदा सा
चिड़चिड़ा सा रहता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
क्योंकि वो नौकरी करता है
उसका दिन,उसकी रात
उसकी हर बात
उसका हर पल
सिर्फ 'लक्ष्य' की चिंता में
कहीं डूबा सा रहता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
क्योंकि वो नौकरी करता है
उसके रिश्ते-नाते
समाज,घर और परिवार
हर पैमाने पर
अपनी मासिक आय से
वो तुलता सा रहता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
क्योंकि वो नौकरी करता है
इसलिए, है तो वो नौकर ही
जो खुद से बेपरवाह
बस अपने मालिक के रहम पर
पसीने से तर-बतर
अपना करम करता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
-यश©
09/04/2019
दिन भर
कोई अपने दफ्तर में
कोई हर मौसम में
बदज़ुबानी और
जिल्लत को जीता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
क्योंकि वो नौकरी करता है
लौट कर
अपने छोटे से घोंसले में
बे-हौसला, बे-हाल
बस उनींदा सा
चिड़चिड़ा सा रहता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
क्योंकि वो नौकरी करता है
उसका दिन,उसकी रात
उसकी हर बात
उसका हर पल
सिर्फ 'लक्ष्य' की चिंता में
कहीं डूबा सा रहता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
क्योंकि वो नौकरी करता है
उसके रिश्ते-नाते
समाज,घर और परिवार
हर पैमाने पर
अपनी मासिक आय से
वो तुलता सा रहता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
क्योंकि वो नौकरी करता है
इसलिए, है तो वो नौकर ही
जो खुद से बेपरवाह
बस अपने मालिक के रहम पर
पसीने से तर-बतर
अपना करम करता है
क्योंकि वो नौकरी करता है ।
-यश©
09/04/2019
इसीलिए विद्वान् कह गये हैं..निषिध चाकरी...
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