वो कौन सी है बात
जो आँधी बताती नहीं
उड़ती धूल में भी
कुछ छुपाती नहीं।
ये दरख्तों की चीखें हैं
जो गूंज पाती नहीं
बेदर्द धरती भी
कुछ कह पाती नहीं।
यूं बीत रहा दिन
कि ये रात जाती नहीं
गिन रहा हूँ हर पल
कि मौत आती नहीं।
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-यश©
03/07/2019