कुछ लोग
नहीं चाहते बंधना
नियमों के
असीम जाल में
नहीं चाहते
फंसना
क्योंकि
उनका दायरा
संकुचित होता है
चारदीवारी के भीतर
खुद की
खुशियों तक
सीमित होता है।
कुछ लोग
नहीं चाहते हैं
टोका जाना
रोका जाना
उनको भाता है
अतिक्रमण....
लांघ कर
दूसरों की सीमाएँ
चलते जाना।
और जब
आता है
ठहराव का
अंतिम
अनचाहा पड़ाव
तब चाह कर भी
कुछ लोग
बंध नहीं पाते
क्योंकि
अवश्यंभावी होता है
एक ही
नीरस चलचित्र का
बोझिल सा अन्त।
-यशवन्त माथुर©
15/09/2019
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