ये न सोचते कि वही होना है,
जो लिखा के लाए हैं लकीरों पर ।
नयी तकदीरों की झलक दिखती,
गर बदलती तसवीरों पर।
यूं रंग बदले हैं, कई रंग आगे भी बदलेंगे,
अब तक थे जो गरजे, वो बादल भी बरसेंगे।
बस एक इत्तेफाक की उम्मीदों में चराग बुझ जाते हैं
पल गुजरते जाते हैं ,चेहरे बदलते जाते हैं।
-यशवन्त माथुर ©
जो लिखा के लाए हैं लकीरों पर ।
नयी तकदीरों की झलक दिखती,
गर बदलती तसवीरों पर।
यूं रंग बदले हैं, कई रंग आगे भी बदलेंगे,
अब तक थे जो गरजे, वो बादल भी बरसेंगे।
बस एक इत्तेफाक की उम्मीदों में चराग बुझ जाते हैं
पल गुजरते जाते हैं ,चेहरे बदलते जाते हैं।
-यशवन्त माथुर ©
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