24 October 2019

दो दो आसमां .......

एक ये भी ....... है
एक वो भी आसमां है। 
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ये ज़मीं से ऊपर है
वो सितारों से नीचे है।
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एक आसमां
सिरहाने तकिये के
कहीं चैन की नींद सोता है
एक आसमां
किसी चौराहे पर
सरेआम रोता है। 
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एक आसमां
मन की रारों का है
या नदी के किनारों का है
एक आसमां
सरहदों पर लगे
कँटीले तारों का है।
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एक आसमां
थोड़ा तुम्हारा है 
थोड़ा हमारा है
एक आसमां में सिर्फ
फिज़ाओं  का बँटवारा है।
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-यश ©
20/10/2019 


1 comment:

  1. बहुत अच्छी हृदयस्पर्शी कविता

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