क्योंकि वो एक देवी है
इसलिए सीमित कर दी गई है
उसकी भक्ति
मंदिरों के भीतर
जहाँ
गाई जाती है आरती
बजाई जाती हैं भेंटें
बोले जाते हैं
मंत्र और श्लोक।
क्योंकि वो एक देवी है
इसलिए
उसके पाठ
पढ़ाए जाते हैं
किताबों में
ग्रंथों में
टंकित शब्दों में।
क्योंकि वो एक देवी है
इसलिए
शक्ति है
भक्ति है
लेकिन
गौण है
उसका मानवीय अस्तित्व।
वो कैद थी
और कैद है
आधुनिकता की
हदों के भीतर
जहाँ
हमने न तो जाना
न ही जानना चाहते हैं
कि वो
कुछ और भी है
अपने दैहिक स्वरूप और
आकर्षण के ऊपर;
कि उसके भीतर भी
रचता-बसता है
एक मानव
हमारी-तुम्हारी ही तरह।
क्योंकि वो एक देवी है
इसलिए
हमारे लिए
उसका सिद्धि रूप
पूजनीय है
सिर्फ नवरात्रों में
अन्यथा
वह कुछ भी नहीं
सफेदी की
कई परतों के भीतर छुपी
हमारे मन की
कालिख के ऊपर।
-यशवन्त माथुर ©
04/12/2019
देवी कहकर पूजा करने वाला समाज उसे साधारण मानवी भी नहीं मानता, कैसी विडम्बना है...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteBahut khoob
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