जो जीते हैं गुरबत में
आए मुस्कान उनके चेहरों पर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
फसल खूब हो खेतों में
हर किसान की झोली जाए भर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
रहें शांत सीमाएं अपनी
यूं न प्रहरी जाएं मर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
रहे अनुकूल यह धरती अपनी
न ताप बने, न शीत लहर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
सद्भाव बना रहे अपनों का
भाईचारे को न लगे नज़र
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
सूर्य ग्रहण हो-चंद्र ग्रहण हो
लगे ग्रहण न इंटरनेट पर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
नव वर्ष 2020 की अनंत शुभकामनाएं।
-यशवन्त माथुर
आए मुस्कान उनके चेहरों पर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
फसल खूब हो खेतों में
हर किसान की झोली जाए भर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
रहें शांत सीमाएं अपनी
यूं न प्रहरी जाएं मर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
रहे अनुकूल यह धरती अपनी
न ताप बने, न शीत लहर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
सद्भाव बना रहे अपनों का
भाईचारे को न लगे नज़र
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
सूर्य ग्रहण हो-चंद्र ग्रहण हो
लगे ग्रहण न इंटरनेट पर
ऐसी उम्मीद नए साल पर।
नव वर्ष 2020 की अनंत शुभकामनाएं।
-यशवन्त माथुर
बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो आपका!