भंग में रंगों की तरंगें मुबारक
गली में नुक्कड़ों में हुड़दंगे मुबारक।
बच्चों की टोली को ठिठोली मुबारक
ठंडाई और गुझिया की होली मुबारक।
सब ओर बरसते गुलाल मुबारक
फागों के रागों को सुर ताल मुबारक।
बुजुर्गों को यादों की हर झोली मुबारक
कहानियों और किस्सों की होली मुबारक।
मुबारक मुबारक-मुबारक मुबारक
दोस्तों को यारों की महफिल मुबारक।
अमन और चैन की हर बोली मुबारक
जो करती है एक सबको होली मुबारक ।
-यशवंत माथुर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (11-03-2020) को "होलक का शुभ दान" (चर्चा अंक 3637) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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रंगों के महापर्व होलिकोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुभकामनाएं होली की।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर...
ReplyDeleteलाजवाब।
सुन्दर प्रस्तुति
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