आसमान में उड़ता
एक बेखौफ परिंदा हूँ
अफसोस! अब तक ज़िंदा हूँ।
कोशिशें
उन्होंने कीं तो बहुत
तीरों से भेदने की
गर्दन और
धड़ को अलग करने की
ये मेरी किस्मत
कि अभी तक बच निकला हूँ
अफसोस! अब तक ज़िंदा हूँ।
वो सोचते रहे
आसान है
कुरेदना मेरे मन को
क्योंकि उनकी नज़रों में
मैं हमेशा
कमजोर ही रहा हूँ
अफसोस! अब तक ज़िंदा हूँ।
-यशवन्त माथुर ©
26/03/2020
एक बेखौफ परिंदा हूँ
अफसोस! अब तक ज़िंदा हूँ।
कोशिशें
उन्होंने कीं तो बहुत
तीरों से भेदने की
गर्दन और
धड़ को अलग करने की
ये मेरी किस्मत
कि अभी तक बच निकला हूँ
अफसोस! अब तक ज़िंदा हूँ।
वो सोचते रहे
आसान है
कुरेदना मेरे मन को
क्योंकि उनकी नज़रों में
मैं हमेशा
कमजोर ही रहा हूँ
अफसोस! अब तक ज़िंदा हूँ।
-यशवन्त माथुर ©
26/03/2020
जब मौत का तांडव चारों ओर मंडरा रहा हो कोई जिन्दा रहने पर अफ़सोस करे, सोचने वाली बात है, सब खैरियत है न !
ReplyDeleteसार्थक।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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