अंधे हैं
हाँ हम सब अंधे हैं
दिखते हैं साफ़
पर बहुत गंदे हैं
हाँ बहुत गंदे हैं।
अपने उजले
आवरण के भीतर
चेहरे पर लगे
मुखौटों की
कई परतों के भीतर
हमारी आखिरी
वास्तविक सतह
ढो रही है
कभी न मिटने वाली
कालिख
और रपटीली
काई
जिस पर बे-असर हैं
सारी सावधानियाँ
और उपकरण
क्योंकि
इस अंतिम स्थिति का
स्वाभाविक चरम
विनाश के सिवा
और कुछ भी नहीं।
-यशवन्त माथुर ©
24/03/2020
हाँ हम सब अंधे हैं
दिखते हैं साफ़
पर बहुत गंदे हैं
हाँ बहुत गंदे हैं।
अपने उजले
आवरण के भीतर
चेहरे पर लगे
मुखौटों की
कई परतों के भीतर
हमारी आखिरी
वास्तविक सतह
ढो रही है
कभी न मिटने वाली
कालिख
और रपटीली
काई
जिस पर बे-असर हैं
सारी सावधानियाँ
और उपकरण
क्योंकि
इस अंतिम स्थिति का
स्वाभाविक चरम
विनाश के सिवा
और कुछ भी नहीं।
-यशवन्त माथुर ©
24/03/2020
नहलाये जा रहे हैं। :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteघर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें।
भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
वाह, बहुत सुन्दर
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