वर्षों से
जीवन का हिस्सा बने
कुछ लोग
खोखला करने का
मौका पाते ही
बन जाते हैं
ऐसी दीमक
जो भीतर ही भीतर
भेदती जाती है
अंग-प्रत्यंग
और हमें पता ही नहीं चलता
क्योंकि हम
आँखें मूँद कर
करते रहते हैं विश्वास
सच जैसे दिखने वाले
उनके सफेद झूठ पर।
हमें बचना चाहिए
ऐसी दीमकों के
कुप्रहार से ..
हमें करना चाहिए
पहले ही कोई उपाय
कि पनप ही न पाएं
पल ही न पाएं
नहीं तो
सच सामने आते-आते
हो चुकती है इतनी देर
कि सिर्फ बाकी रहते हैं
अवशेष
धूल में मिल कर
कहीं उड़ चुके
विश्वास के।
-यशवन्त माथुर ©
29/04/2020
जीवन का हिस्सा बने
कुछ लोग
खोखला करने का
मौका पाते ही
बन जाते हैं
ऐसी दीमक
जो भीतर ही भीतर
भेदती जाती है
अंग-प्रत्यंग
और हमें पता ही नहीं चलता
क्योंकि हम
आँखें मूँद कर
करते रहते हैं विश्वास
सच जैसे दिखने वाले
उनके सफेद झूठ पर।
हमें बचना चाहिए
ऐसी दीमकों के
कुप्रहार से ..
हमें करना चाहिए
पहले ही कोई उपाय
कि पनप ही न पाएं
पल ही न पाएं
नहीं तो
सच सामने आते-आते
हो चुकती है इतनी देर
कि सिर्फ बाकी रहते हैं
अवशेष
धूल में मिल कर
कहीं उड़ चुके
विश्वास के।
-यशवन्त माथुर ©
29/04/2020
सुन्दर रचना
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