04 April 2020

क्योंकि वो हम जैसे नहीं.....

हमें नहीं परवाह 
उन साथियों की 
उन अपनों की 
जिनके सपने 
भूख-लाचारी और 
बेकारी से 
हो रहे हैं चूर-चूर, 
क्योंकि 
यह उनकी समस्या है 
या 
उनकी किस्मत है 
कि उनके हालात 
हमारे जैसे 
विलासितापूर्ण नहीं 
कि वो हम जैसे 'खास' नहीं ,
वो सिर्फ 'आम' हैं 
जो बने हैं 
सिर्फ हमारी चाकरी के लिए 
इंसान के रूप में 
उनका सिर्फ 'इंसान' 
होना ही काफी नहीं 
क्योंकि वो जो हैं , वो हैं 
लेकिन हम जैसे नहीं। 

-यशवन्त माथुर ©
04/04/2020

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