नहीं
कोई मतलब नहीं
जंजीरों में कैद
बेहिसाब भूख से।
नहीं
कोई मतलब नहीं
अपनों से मिलने की
बेहिसाब तड़प से।
नहीं
कोई मतलब नहीं
गरीबी से
बेकारी से
लाचारी से
बस मतलब है
तो सिर्फ
अपने आस-पास की
मृग मरीचिका से
जिसे वास्तविकता मान कर
तबाही के इंतजार में
चादर तान
सपनों में खो रहे हैं
क्योंकि
हम सब सो रहे हैं।
-यशवन्त माथुर ©
15/04/2020
कोई मतलब नहीं
जंजीरों में कैद
बेहिसाब भूख से।
नहीं
कोई मतलब नहीं
अपनों से मिलने की
बेहिसाब तड़प से।
नहीं
कोई मतलब नहीं
गरीबी से
बेकारी से
लाचारी से
बस मतलब है
तो सिर्फ
अपने आस-पास की
मृग मरीचिका से
जिसे वास्तविकता मान कर
तबाही के इंतजार में
चादर तान
सपनों में खो रहे हैं
क्योंकि
हम सब सो रहे हैं।
-यशवन्त माथुर ©
15/04/2020
कटु यथार्थ
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