कौन हूँ मैं
अक्सर लोग पूछते हैं
मेरी जाति, मेरा धर्म बूझते हैं
जैसे यह कोई पहेली हो
जैसे यह जानना बहुत जरूरी हो
ताकि वो सहज हो सकें
मेरे इंसानी चेहरे-मोहरे
रंग-रूप और नस्ल से
या मुझे ही सहज कर सकें
अपने पूर्वाग्रही
अक्स से।
मैं खुद भी
दीवार पर लगे आईने में
खुद को देखकर भी
यही पूछता हूँ
कि इस देह
और मन के सिवा
क्या कुछ और भी हूँ मैं ?
आखिर कौन हूँ मैं ?
आत्ममंथन के कई दिनों
और रातों के बाद
स्वप्नों में खुद से कही बातों के बाद
निष्कर्ष निकला यही
कि सब कुछ हूँ -
हिन्दू हूँ-
मुस्लिम-सिख और
क्रिश्चियन भी हूँ मैं
हिन्मुश्चियन (Hinmustian) हूँ मैं ।
-यशवन्त माथुर ©
28/04/2020
अक्सर लोग पूछते हैं
मेरी जाति, मेरा धर्म बूझते हैं
जैसे यह कोई पहेली हो
जैसे यह जानना बहुत जरूरी हो
ताकि वो सहज हो सकें
मेरे इंसानी चेहरे-मोहरे
रंग-रूप और नस्ल से
या मुझे ही सहज कर सकें
अपने पूर्वाग्रही
अक्स से।
मैं खुद भी
दीवार पर लगे आईने में
खुद को देखकर भी
यही पूछता हूँ
कि इस देह
और मन के सिवा
क्या कुछ और भी हूँ मैं ?
आखिर कौन हूँ मैं ?
आत्ममंथन के कई दिनों
और रातों के बाद
स्वप्नों में खुद से कही बातों के बाद
निष्कर्ष निकला यही
कि सब कुछ हूँ -
हिन्दू हूँ-
मुस्लिम-सिख और
क्रिश्चियन भी हूँ मैं
हिन्मुश्चियन (Hinmustian) हूँ मैं ।
-यशवन्त माथुर ©
28/04/2020
वाह ! खुद से मुलाकात होते ही ढह जाती हैं सारी सीमाएं
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