18 April 2020

कब मिटेगी भूख ?

कब मिलेगा उनको
उनके हिस्से का सुख?
कब मिटेगी उनकी
दो जून की भूख ?

कब खोले जाएंगे बंधन
उनके पैरों के?
कब होंगे वो मुक्त
हर कदम पे पहरों से?

लौटेगी कब मुस्कुराहट
उनके बच्चों के चेहरे पर?
नन्हे कदम कब थिरकेंगे
अपने आँगन और देहरी पर?

कब आएगी हथेली पर
लौट कर वही दिहाड़ी?
कब लौटेगी पटरी पर
जीवन की रेल गाड़ी ?

कब तक तड़प-तड़प कर
यूं देह होती रहेगी मुक्त ?
कब मिटेगी उनकी
दो जून की भूख ?

-यशवन्त माथुर ©
18/04/20

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