वर्तमान में जीते हुए
कुछ लोग
भूल जाते हैं
अपना बीता हुआ कल
बन जाते हैं मोहरा
किसी और की चालों के
जिसके भीतर की
कालिख से अनजान
कर बैठते हैं
सिर्फ अपने आज में जी कर
खुद का ही नुकसान।
कुछ लोग
शायद समझते हैं
औरों को
अपने जैसा ही
कुटिल
या कुछ अधिक ही सीधा
लेकिन ऐसा होता नहीं है
क्योंकि वास्तविकता
सिर्फ वही नहीं होती
जो स्याहियों से रची हुई
दिखती है
दीवारों पर उकेरी हुई
या पन्नों पर लिखी हुई।
-यशवन्त माथुर©
04/05/2020
वास्तविकता का ज्ञान होना इतना आसान भी नहीं है
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