कभी कम, कभी ज्यादा लिखते हुए ब्लॉगिंग में आज 10 वर्ष पूरे हो गए। मैं अच्छे से जानता हूँ कि मेरा लिखा हुआ उस स्तर का नहीं है जितना मेरे हमउम्र साथियों का है, फिर भी जो मन में आता है उसे बिना कुछ ज्यादा सोचे कि किसी को पसंद आएगा या नहीं; सीधे पोस्ट कर देता हूँ। ' जो मेरा मन कहे' नाम रखने का यही कारण भी है। यह एक तरह से मेरी डायरी जैसा है जिसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। जो भी है , जैसा भी है मेरा ब्लॉग है। जब तक गूगल मुफ़्त का यह प्लेटफ़ॉर्म बनाए रखेगा, मेरा ब्लॉग भी बना रहेगा और अधिक कुछ सोचा नहीं है।
-यशवन्त माथुर
02/06/2020
-यशवन्त माथुर
02/06/2020
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