हमें नहीं मिलेंगे
उन सवालों के जवाब
जिनकी कालिख
वो हमारे मुँह पर पोत गया
हम यही कहेंगे
कि वो एक कायर था
जो हार मन कर चला गया
लेकिन सुन लो नहीं
नहीं.. वो कायर नहीं
बहादुर था
हिम्मती था
कायर तो हम सब थे..
हैं... और रहेंगे
यूं ही
मौत से डरते रहेंगे
ये एक ऐसा आज है
जिसका समानार्थी
सबके भीतर
परत दर परत
जमा हुआ
ऐसा अवसाद है
जिससे पार पाने से
कहीं ज्यादा आसान
आसमान से लाना है
तोड़ कर चाँद-तारे।
-यशवन्त माथुर ©
16062020
उन सवालों के जवाब
जिनकी कालिख
वो हमारे मुँह पर पोत गया
हम यही कहेंगे
कि वो एक कायर था
जो हार मन कर चला गया
लेकिन सुन लो नहीं
नहीं.. वो कायर नहीं
बहादुर था
हिम्मती था
कायर तो हम सब थे..
हैं... और रहेंगे
यूं ही
मौत से डरते रहेंगे
ये एक ऐसा आज है
जिसका समानार्थी
सबके भीतर
परत दर परत
जमा हुआ
ऐसा अवसाद है
जिससे पार पाने से
कहीं ज्यादा आसान
आसमान से लाना है
तोड़ कर चाँद-तारे।
-यशवन्त माथुर ©
16062020
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