मालूम होते हुए भी
कि जिसकी तलाश में
हम हैं
वो मिलना नहीं है
फिर भी
फर्जी उम्मीदों को
गांठ में बांधे
पड़े रहते हैं
उसी के पीछे
शायद ये सोच कर
कि किस्मत
हमारी मर्जी से
बदल ले
अपने रंग।
-यशवन्त माथुर ©
07/06/2020
कि जिसकी तलाश में
हम हैं
वो मिलना नहीं है
फिर भी
फर्जी उम्मीदों को
गांठ में बांधे
पड़े रहते हैं
उसी के पीछे
शायद ये सोच कर
कि किस्मत
हमारी मर्जी से
बदल ले
अपने रंग।
-यशवन्त माथुर ©
07/06/2020
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