जब सामने हो अंधेरा
और कोई रास्ता न हो
किसी का किसी से
जब कोई वास्ता न हो ..
तब होती है जायज ही
मुक्त हो जाने की
मुखर और
अपरिहार्य सोच।
-यशवन्त माथुर ©
15062020
और कोई रास्ता न हो
किसी का किसी से
जब कोई वास्ता न हो ..
तब होती है जायज ही
मुक्त हो जाने की
मुखर और
अपरिहार्य सोच।
-यशवन्त माथुर ©
15062020
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