स्कूटी, स्कूटर और
मोटर साइकिलों के इस युग में
मेरे जैसे
'मजदूर क्लास' कुछ लोग
अपने साथ
रोज ले कर चलते हैं
'पुरातन', 'आदिम'
और कुछ
न कहे जा सकने वाले
विशेषण।
क्योंकि सब कुछ होते हुए भी
दो पहिया के नाम पर
हमारे पास
है
तो सिर्फ एक साइकिल
जिस पर चलते हुए
और जिसे चलाते हुए
मीलों लंबा रास्ता
दम घोंटू धुआँ फैलाए बिना ही
धीरे धीरे कट जाता है
सफर पूरा हो जाता है।
अपने बदलते रंग रूप
और आधुनिकता के साथ
साइकिल
अब भी
एक शुद्ध विचार है
आम जीवन का आधार है
जिसके पहियों पर
टिका हुआ है बोझ
अर्थव्यवस्था
और हमारी
सकल प्रगति का।
-यशवन्त माथुर ©
03/06/2020
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