हम सिर्फ सोचते रह जाते हैं
ख्यालों के बादल
आ कर चले जाते हैं
Shot by Samsung M30s-Copyright-Yashwant Mathur© |
मैं चाहता हूँ
बरस जाएं लेकिन
थोड़ा गरज कर ही
मंजिल पा जाते हैं
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ये आज की शाम है
मगर किस्सा हर रोज का है
कुछ शब्द लिखते हैं
कुछ मिटा दिये जाते हैं।
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-यशवन्त माथुर ©
23082020
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सुन्दर सृजन
ReplyDeleteएक न एक दिन बरसेंगे बादल, बस भरोसा चाहिए
ReplyDeleteसुन्दर और सारगर्भित प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबिल्कुल ऐसा ही होता है..
ReplyDeleteकुछ अधूरा सा गुजर जाता है..
कुछ पूरा सा रह जाता है गुजरने को..
बीत जाती है हर शाम छोड़कर कुछ ना कुछ करने को..