कुछ लोग
जो उड़ रहे हैं आज
समय की हवा में
शायद नहीं जानते
कि हवा के ये तेज़ झोंके
वेग कम होने पर
जब ला पटकते हैं धरती पर
तब कोई
नहीं रह पाता काबिल
फिर से सिर उठाकर
धारा के साथ
चलते जाने के।
इसलिए
संभल जाओ
समझ जाओ
मैं चाहता हूँ
कि जान पाओ
और कह पाओ
सही को सही
गलत को गलत
क्योंकि
यह चिर स्थायी गति
शून्य से शुरू हो कर
शून्य पर ही पहुँच कर
देश और काल की
हर सीमा से परे
कुछ लोगों के
आडंबरों का विध्वंस कर
सब कुछ बदल देती है।
04102020
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बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteसही को सही और गलत को गलत कहने की ताकत ही कलम की असली ताकत है
ReplyDeleteसचेत करती हुई सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (6-10-2020 ) को "उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना. "(चर्चा अंक - 3846) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
कुछ लोग
ReplyDeleteजो उड़ रहे हैं आज
समय की हवा में
शायद नहीं जानते
कि हवा के ये तेज़ झोंके
वेग कम होने पर
जब ला पटकते हैं धरती पर
इसीलिए कहते हैं जमीन से जुड़े रहो ...
बहुत सुन्दर लाजवाब सृजन
वाह!!!
आगाह करती सुंदर अभिव्यक्ति सर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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