15 December 2020

आम आदमी अब सिर्फ रोता है.....

टाटा-बिरला थे पहले 
अब अंबानी- अडानी होता है 
पहले जो थोड़ा हँसता था 
आम आदमी अब सिर्फ रोता है। 

हल छोड़ सड़क पर निकल किसान 
माँग रहा समर्थन और सम्मान 
लेकिन बहुतों की नज़रों में 
वो माओवादी होता है। 

रोजगार के सपने देख देख कर 
परीक्षा शुल्क चुकाने वाला 
उस युवा की आँखों में देखो 
जो निजीकरण को ढोता है। 

महँगाई के इस स्वर्ण काल में 
बजट नहीं न बचत कोई 
सरकारी उद्यम सभी बेच कर 
कैसा विकास ही होता है?

आम आदमी अब सिर्फ रोता है। 

-यशवन्त माथुर ©
15122020 

11 comments:

  1. सही कहा यशवंत भाई की आम आदमी अब सिर्फ रोता है।

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  2. सार्थक रचना।
    पूर्णतः सहमत।

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  4. आपने ठीक ही कहा यशवंत जी । आम आदमी के इस रूदन का कोई अंत कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता ।

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  5. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन

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  6. रोजगार के सपने देख देख कर
    परीक्षा शुल्क चुकाने वाला
    उस युवा की आँखों में देखो
    जो निजीकरण को ढोता है।
    एकदम सटीक सार्थक एवं लाजवाब सृजन।

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  7. बेहतरीन सृजन।
    सादर

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  8. बहुत सुन्दर स्रजन।
    वास्तविकाता का दिग्दर्शन।

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