26 January 2021

क्या यह वही देश है?

जो जाना जाता था 
किसान के हल से 
अपने सुनहरे कल से 
जिसके खेतों में फसलें 
झूम-झूम कर 
हवा से ताल मिलाती थीं 
पत्ती-पत्ती फूलों से 
दिल का हाल सुनाती थी 
जहाँ संपन्नता तो नहीं 
संतुष्टि की खुशहाली थी 
महंगी विलासिता तो नहीं 
पर ज़िंदगी गुजर ही जाती थी 
कितना अच्छा था पहले 
वैसा अब आज नहीं 
पहले सुराज था 
आज तो स्वराज नहीं 
आज तो 
बस पल-पल बिगड़ता 
सबका वेश और परिवेश है
जो गणतंत्र था सच में कभी  
क्या यह वही देश है?

-यशवन्त माथुर ©
24012021

15 comments:

  1. यक्ष प्रश्न ... जिसका संभवतः कोई उत्तर नहीं है । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  2. सत्य है..यह वही देश नहीं..
    सुंदर अभिव्यक्ति

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  3. प्रश्न तो सही है..इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए, सुन्दर कृति..
    मेरे लेखों के ब्लॉग लिंक "गागर में सागर" पर आपके स्नेहपूर्ण भ्रमण का स्वागत है..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..जिज्ञासा सिंह..

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  4. सोचने को विवश करती बहुत सुन्दर रचना।
    72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  5. विचारणीय प्रश्न ....

    बहुत अच्छा विचारोत्तेजक लेख

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  6. देश तो वही है, अलबत्ता कुछ देशवासी जरूर पथभ्रष्ट हो गए हैं

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  7. नहीं यशवन्त जी, यह वह देश नहीं है । वह देश अब केवल पुरातन स्मृतियों में रह गया है । इस समयकाल में तो आप ही की बात सत्य है कि पल-पल बिगड़ता सबका वेश व परिवेश है ।

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  8. हृदय को बिंधता प्रश्न पर सटीक ।
    सब कुछ तो बदल गया है ,न वो नेता न व जनता न वो जनतंत्र,न वो जज्बा कुछ इतिहास के पृष्ठों पर अंकित वो उच्च आदर्शों वाला देश।
    अप्रतिम सृजन।

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  9. बहुत सुन्दर

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  10. बहुत सरल शब्दों में उतनी ही सहजता से आपने व्यक्त की हम सब के मन की व्यथा.
    हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति.

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  11. गणतंत्र दिवस पर तथाकथित किसानों की बेहूदा हरकतें अब सोचने को विवश करती हैं उन्हें भी जिन्हें इनसे बेहद सहानुभूति थी...।
    बहुत सुन्दर सार्थक विचारणीय सृजन।

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  12. बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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  13. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन वाह ! बहुत सुंदर कहानी,
    Poem On Mother In Hindi

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