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19 March 2021

वक़्त के कत्लखाने में-21

समय के साथ-साथ 
सब चेहरे 
धुंधले होने लगते हैं 
लिखे हुए शब्द 
मिटने से लगते हैं 
सदियों से सहेजे हुए कागज़ 
गलने लगते हैं 
लेकिन 
उन पर रचा हुआ इतिहास 
श्रुति बन कर 
गूँजता रहता है 
वक़्त के कत्लखाने में। 

-यशवन्त माथुर©
19032021

5 comments:

  1. इतिहास में तो न जाने क्या क्या क़त्ल हो जाता है ...विचारणीय .

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  2. वही इतिहास कालांतर में पुराण बनकर जीवित रहता है मनों में

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  3. बेहतरीन अभिव्यक्ति ।

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  4. इतिहास श्रुति बनकर गूँजता रहता है...
    वक्त के कत्लखाने में...
    सटीक एवं सार्थक सृजन।

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