बोल निराशा के, कभी तो मुस्कुराएंगे।
जो बीत चुके दिन, कभी तो लौट के आएंगे।
चलता रहेगा समय का पहिया,
होगी रात तो दिन भी होगा।
माना कि मावस है कई दिनों की,
फिर अपने शवाब पे पूरा चाँद भी होगा।
आज काँटे हैं, कल इन्हीं में फूल खिल जाएंगे।
ये कुछ पल की ही बात है, वो दिन लौट के आएंगे।
04032021
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-03-2021) को
"ख़ुदा हो जाते हैं लोग" (चर्चा अंक- 3996) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
सादर धन्यवाद!
Deleteसच समय कैसा भी हो कट ही जाता है
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
सादर धन्यवाद!
Deleteउम्मीद पे दुनिया क़ायम है यशवंत जी । कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे, उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद!
Deleteआशा के दीप जलाती सुंदर कृति..
ReplyDeleteसादर धन्यवाद!
Deleteआशा का संचार करती सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद!
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद!
Deleteबहुत सुंदर... आने वाले समय के प्रति विश्वास जगाता गीत
ReplyDeleteसाधुवाद 🙏
सादर धन्यवाद!
Deleteआज काँटे हैं, कल इन्हीं में फूल खिल जाएंगे।
ReplyDeleteये कुछ पल की ही बात है, वो दिन लौट के आएंगे।
बहुत खूब,सादर नमन आपको
सादर धन्यवाद!
Deleteवाह!बहुत सुंदर।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद!
Deleteबहुत सुंदर आशावादी रचना 🌹🙏🌹
ReplyDeleteसादर धन्यवाद!
Deleteसुंदर रचना !
ReplyDeleteजो बीत चुके वे दिन तो कभी नहीं लौटते, अतीत मृत हो जाता है उसमें कोई फूल नहीं खिलता, वर्तमान ही वह भूमि है जहाँ अंकुरण हो सकता है, इसी क्षण में यदि मुस्कुराने की जो नहीं ठानता वह भविष्य में भी मुस्कुराएगा, पक्का नहीं है, क्योंकि वर्तमान ही वह बीज है जो भविष्य में वृक्ष बनेगा, अतीत नहीं,
सादर धन्यवाद!
Delete