हो रहा है
वही सब कुछ अनचाहा
जो न होता
तो यूँ पसरा न होता
दिन और रात के चरम पर
दहशत और तनाव का
बेइंतिहा सन्नाटा
लेकिन हम!
हम बातों
और वादाखिलाफी के शूरवीर लोग
वर्तमान का
सब सच जानते हुए भी
तटस्थता का कफन ओढ़ कर
समय से पहले ही
लटकाए हुए हैं
भविष्य की कब्र में अपने पैर ..
सिर्फ इसलिए
कि
वक़्त के कत्लखाने में
प्रतिप्रश्नों की
कोई जगह नहीं।
22042021