Image:Yashwant Mathur© |
ऊंची इमारतों की छतों को
छूकर निकलने वाला
बादलों का हर एक टुकड़ा
स्पीड ब्रेकर की तरह
बीच राह में आने वाली
टहनियों
और इक्का दुक्का पत्तियों से
बची खुची सांसों का हाल
पूछता हुआ
निकल लेता है
सूखी पथरीली
रेतीली धरती पर
बरसने को
जिसकी तह में
हरी घास की जड़ें नहीं
अब मिलते हैं
सिर्फ
विलुप्त होती
सभ्यता के अवशेष।
19052021