बेमौसम की बारिश, बेमौसम इंसान।
बेमौसम में भीग रहीं, फसलें बेईमान।
बेमौसम में भीग रहीं, फसलें बेईमान।
बेमौसम महंगाई ने, छेड़ी ऊंची तान।
बेमौसम बीमारी में, फंसी हुई है जान।
बेमौसम क्या करूं,अपने मन की बात।
बेमौसम दिन है ऐसा, जैसे गहरी रात।
बेमौसम बीमारी में, फंसी हुई है जान।
बेमौसम क्या करूं,अपने मन की बात।
बेमौसम दिन है ऐसा, जैसे गहरी रात।
19052021
बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुंदर सृजन ! जब सब कुछ बेमौसम हो रहा हो तब मान लेना चाहिए कि सही मौसम की प्रतीक्षा व्यर्थ है, अब तो जो है उसी से राह निकालनी है, मौसम के अनुकूल स्वयं को ढालना है, मौसम तो अपनी राह चलेगा
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा बुधवार (19-05-2021 ) को 'करोना का क़हर क्या कम था जो तूफ़ान भी आ गया। ( चर्चा अंक 4070 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा बुधवार (19-05-2021 ) को 'करोना का क़हर क्या कम था जो तूफ़ान भी आ गया। ( चर्चा अंक 4070 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत बढ़िया,सुंदर सार्थक सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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