प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

03 June 2021

एक तूफाँ हूँ......

हो जरूरत कभी, तो याद कर लेना,
मैं एक तूफाँ हूँ, यूँ ही आया करता हूँ।

दुआ सन्नाटा भी करता है, कि दूर ही रहूँ,
अक्सर हदों से आगे, गुजर जाया करता हूँ।

जो देखते हो तुम-
कहीं झुकी हुई घासें और गिरे हुए दरख़्त,
एकतरफा प्रेम में, ये वक़्त  जाया करता हूँ।

कुसूर मेरा नहीं, नामाकूल हवा का भी है,
जब टूटता है दिल, तो बरस जाया करता हूँ।


-यशवन्त माथुर©
02062021 

5 comments:

  1. वाह! एक से बढ़कर एक पंक्तियाँ, तूफ़ानों की हस्ती के आगे कौन ठहर सका है।

    ReplyDelete
  2. सुंदर रचना

    ReplyDelete
  3. सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर शेर, नायाब रचना ।

    ReplyDelete
1261
12027
+Get Now!