मन मिलते रहें,
चेहरे खिलते रहें,
दीप जलते रहें।
प्रवास से लौटकर,
विचार के प्रवाह में,
दिशाएं भी कुछ कहें,
दीप जलते रहें।
क्रांति के मार्ग पर,
शांति के गीतों में,
एक होके सब बहें,
दीप जलते रहें।
उदय की कथा तो हो,
अस्त की व्यथा न हो,
शामें जब ढलती रहें,
दीप जलते रहें।
31102021
सुन्दर रचना
ReplyDeleteउदय की कथा तो हो, अस्त की व्यथा न हो। आशा तो यही करते हैं, कामना तो यही करते हैं। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं यशवन्त जी।
ReplyDeleteसभी के लिए दीप पर्व मंगलमय हो|सुंदर रचना|
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (05 -11-2021 ) को 'अपने उत्पादन से अपना, दामन खुशियों से भर लें' (चर्चा अंक 4238) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
दीपावली के शुभ अवसर पर आशा जगाती सुंदर रचना
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