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18 October 2021

कोई अपना नहीं......

कोई अपना नहीं सब पराए से हैं।
अपनी खुशियों में भरमाए से हैं।
जब वक्त था कुछ करने का, मुकर गए।
अब न जाने क्यों कुलबुलाए से हैं।
उनकी खूबियों को बाखूबी जान लिया था हमने।
याद पीछे की दिलाई तो अब शरमाए से हैं।
चाहते हैं जानना कि पता, अपना हम बता दें उनको।
लेकिन लगता नहीं कि करनी पर पछताए से हैं।
 
-यशवन्त माथुर©

18102021


4 comments:

  1. आपकी अभिव्यक्ति से जुड़ाव अनुभव कर रहा हूँ। लग रहा है जैसे मेरे ही मन की बात है।

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  2. उस एक के नाते ही सब अपने हैं वरना तो सबके अपने अपने सपने हैं

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  3. सुंदर सृजन

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