प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

07 November 2021

अभी बाकी है....

ढल गया एक दिन ऐसे ही, तो क्या हुआ,
फिर एक रोशन दिन की, उम्मीद अभी बाकी है।

उदासियों के बादल भी छंट कर बरसेंगे कभी तो,
सोंधी खुशबू मिट्टी की, उठनी अभी बाकी है।

ख्यालों का क्या है, आते जाते ही रहते  हैं,
गर ठहरे शब्द, तो पन्नों पर, उतरना अभी बाकी है।
.
-यशवन्त माथुर©
06112021

6 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (08 -11-2021 ) को 'अंजुमन पे आज, सारा तन्त्र है टिका हुआ' (चर्चा अंक 4241) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  3. ठीक कहा यशवंत जी आपने। इसी नज़रिये को लेकर चलना पड़ता है ज़िन्दगी के सफ़र में।

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन रचना!

    ReplyDelete
  5. सुंदर आशावादी भाव आशा का संचार करता सुंदर सृजन।
    सादर।

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
1261
12027
+Get Now!