मेरी आन-बान-शान तिरंगा
मेरा स्वाभिमान है
जो कुछ करूँ या सोचूँ
इस पर हर कतरा कुर्बान है।
कितने ही गीत लिखे जा चुके
कितने ही लिखने बाकी हैं
दुश्मन की छाती पे चढ़ने को
सिर्फ जयकारे ही काफी हैं।
कहीं रेत के टीले ऊँचे
कहीं बर्फीले तूफान हैं
सीमा की हर बंदिश पर
जय-जय वीर जवान हैं।
गणतंत्र के प्रेरक अपने
तीन रंग, चक्र निशान हैं
इनके लहराने से मिलती
हमें अतुल्य पहचान है।
25012022