स्वाभाविक होता है
अंतराल..
कभी
आत्ममंथन के लिए
कभी
एकांत चिंतन के लिए
और कभी
बस यूं ही
कुछ पल के
सुकून के लिए
भीड़ से दूर
या भीड़ के बीच भी
औपचारिक
आत्मीयता के साथ भी-
अलग भी
अंतराल ..
अपने साथ
सहेजता है
कुछ यादें
और खुद से किए
कुछ वादे
क्योंकि
अंतराल
अपनी क्षणभंगुरता में
बो देता है बीज
किसी और
भावी अंतराल के।
16012022
गहन भाव सृजन।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
अंतराल..
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, चिंतनपूर्ण भावों का अहसास ।
सटीक भी ।
आत्ममंथन और चिंतन की धारा यूँही प्रवाहित होती रहे
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबिलकुल सच कहा आपने यशवन्त जी।
ReplyDeleteसही कहा आत्ममंथन और एकांत चिंतन के लिए जरुरी है अंतराल..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
लाजवाब सृजन।