मेरी आन-बान-शान तिरंगा
मेरा स्वाभिमान है
जो कुछ करूँ या सोचूँ
इस पर हर कतरा कुर्बान है।
कितने ही गीत लिखे जा चुके
कितने ही लिखने बाकी हैं
दुश्मन की छाती पे चढ़ने को
सिर्फ जयकारे ही काफी हैं।
कहीं रेत के टीले ऊँचे
कहीं बर्फीले तूफान हैं
सीमा की हर बंदिश पर
जय-जय वीर जवान हैं।
गणतंत्र के प्रेरक अपने
तीन रंग, चक्र निशान हैं
इनके लहराने से मिलती
हमें अतुल्य पहचान है।
25012022
सहज,सरल,बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ।
सादर।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२७-०१ -२०२२ ) को
'गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ....'(चर्चा-अंक-४३२३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
कहीं रेत के टीले ऊँचे
ReplyDeleteकहीं बर्फीले तूफान हैं
सीमा की हर बंदिश पर
जय-जय वीर जवान हैं।
खूबसूरत अभिव्यक्ति
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
ReplyDeleteझंडा ऊंचा रहे हमारा !
गणतंत्र के प्रेरक अपने
ReplyDeleteतीन रंग, चक्र निशान हैं
इनके लहराने से मिलती
हमें अतुल्य पहचान है।
राष्ट्रप्रेम के भाव लिए अनुपम सृजन ।
जय हिन्द !! जय भारत !!
गणतंत्र के प्रेरक अपने
ReplyDeleteतीन रंग, चक्र निशान हैं
इनके लहराने से मिलती
हमें अतुल्य पहचान है।
गणतंत्र दिवस पर देश के वीर सपूतों के सम्मान में रचित सुंदर भावपूर्ण रचना ।गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं यशवंत जी ।
देशभक्ति से ओतप्रोत सुंदर रचना
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