क्या होगा
इनबॉक्स में आकर?
क्या होगा
मुखौटा उतारकर
जो तुम कहना चाहते
मुझे सुनना नहीं
जो मुझे कहना है
पढलो
मेरी वॉल पर आकर।
क्या होगा
इनबॉक्स में आकर?
रख दोगे
अपना चरित्र
गिरवी अपने शब्दों से
और चाहोगे
मैं गिर जाऊं
तुम्हारी बातों में आकर।
क्या होगा
इनबॉक्स में आकर?
नख-शिख तक
देह-वस्त्र विश्लेषण
क्या करूं
मैं तुमसे पाकर
क्या होगा
इनबॉक्स में आकर?
अपनी राह पर
तुम चलो
और चलने दो
मित्रता पाकर
भले अगर मानस हो सच में
क्या होगा
इनबॉक्स में आकर?
(महिलाओं के सोशल मीडिया इनबॉक्स में बेवजह आने वाले शूर वीरों को समर्पित)
02022022
वाह! बहुत प्रभावशाली रचना, उससे भी प्रभावशाली वाचन, बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteread me also plssssssss
Deleteपर शूरवीर समझे तो न ।
ReplyDeleteread me also plssssss
Deleteबहुत लाजवाब सृजन
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Deletesahi kaha good poem
ReplyDeleteसराहनीय और विचारणीय प्रस्तुति ।
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