यूं तो
मन के हर कोने में
विचरते रहते हैं
ढेर सारे प्रश्न
और उनके
सटीक
या अनुमानित उत्तर
फिर भी
कुछ ऐसे प्रश्न भी होते हैं
जिनके उत्तर की चाह में
सैकड़ों योनियों में भटकते हुए
बीत जाते हैं
कितने ही पूर्व
और भावी जन्म।
हम
कितने ही चोले बदलते हुए
कितने ही देश-काल
और परिस्थितियों से जूझते हुए
कितनी ही भाषाओं -
संस्कृतियों से गुजरते हुए
संभावित मोक्ष की देहरी पर
दस्तक देते हुए भी
अतृप्त रह ही जाते हैं
क्योंकि
अपने अजीब से
मोहपाश में बांधकर
अनुत्तरित प्रश्नों का
एकमात्र लक्ष्य
अनुत्तरित ही रहना होता है
सदा-सर्वदा के लिए।
14052022