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21 August 2022

कुछ लोग-56

संस्थानों में 
वरिष्ठ पदों पर आसीन 
कुछ लोग 
या तो 
कनिष्ठों से होते हैं मित्रवत 
दी गई सीमा के भीतर 
उनसे काम करा लेने वाले 
उनके दिल में 
एक खास मुकाम बनाने वाले 
या होते हैं
इस कदर टेढ़े 
कि मुस्कुराते हुए भी 
दिखा ही देते हैं 
अपनी अकुशलता के प्रतिरूप.....  
क्योंकि 
उनको भाता है
अपने कार्मिकों के  
आपस की 
हर बात पर 
प्रतिबंध लगाना ...
क्योंकि 
वह सिर्फ चाहते हैं
अपने इशारों पर नचाना 
और क्योंकि 
अपने हल्के होते 
कार्यभार के कारण  
उनके पास बचता नहीं 
अपने लिए 
कोई भी बहाना। 
ऐसे लोग 
अपने निहित स्वार्थ के लिए 
कुछ समय को  
कर सकते हैं 
किसी एक 
सीधे-सच्चे इंसान को 
अस्थिर और परेशान  
लेकिन 
खुद के बोए काँटों पर चलना 
शायद उनके लिए भी 
नहीं होता आसान। 

-यशवन्त माथुर©
21082022

15 August 2022

आजादी का जश्न मनाएँ ?


चौराहों पर अक्सर दिखते
हाथ फैलाए भूखे नंगे
इंसान से इंसान ही कहता
दूर हटो! रे! भिखमंगे

फिर भी हैं कुछ
जो खिला पिला कर
महंगाई में दया दिखाएँ 
आजादी का जश्न मनाएँ ?
 
बचपन के दो गजब नजारे
दिखते अक्सर आते जाते
एक -  स्कूल में पढ़ते लिखते
दूसरे- कूड़ा बीन सकुचाएँ 
आजादी का जश्न मनाएँ ?
 
खत्म हुआ सब रिश्ता नाता
कोरोना दूरी बनवाता
ऐसे में कैसे कुछ मीठा
जब हो सबकुछ
खट्टा तीता। 

हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई 
आपस में सब लड़ते जाएँ  
आजादी का जश्न मनाएँ ?

निरपेक्षता के स्थायी भाव में 
संविधान की आत्मा बसती 
लेकिन 'नए भारत' में 
बसा रहे हम कैसी बस्ती ?

मजदूर किसान की दुर्गति में
'अमृत' को कैसे 'वर्षाएँ '
आजादी का जश्न मनाएँ ?
 
माना हुए वर्ष पचहत्तर
सौ , दो सौ , और हजार भी होंगे
सब ऐसे चलता रहा तो
जाने कैसे कहां को होंगे
 
फिर क्यों सच को
भूल-भाल कर
आंख मूंद कर खुश हो जाएँ 
आजादी का जश्न मनाएँ ?
 
-यशवन्त माथुर©

07 August 2022

Bad Image Error और हम......

ल पापा के कंप्यूटर पर यह एरर आने लगी। काफी जतन करने के बाद भी जब नहीं सुधरी तो फॉर्मेट करके विंडोज को फिर से डालना पड़ा।

कुछ लोग ऐसी ही bad image अचानक से हमारे आस पास आकर बना लेते हैं। जब तक उनसे बनती है तब तक हमें यह पता तक नहीं चलता कि हमारे लिए उनके मन में क्या क्या भरा है और फिर एक दिन उनकी जुबान से जो 'प्रशंसा गीत' झरते हैं तब यह एरर वास्तव में डिटेक्ट होती है।

इस एरर को ठीक करने के प्रयास तो हम उनसे बात करके/ खोजबीन करके /गलतफहमी को दूर करके करते ही हैं और फिर भी जब बात न बने तो ऐसे में हमें अपने फ्रेंड सर्किल को फॉर्मेट करना ही पड़ता है।

पुरानी बातों और यादों के सारे सॉफ्टवेयर फिर से इंस्टाल या री-इंस्टाल करने की यह कसरत थोड़ी लम्बी और थकाऊ होने के साथ सिरदर्द और तनाव देकर आखिरकार कुछ समय के लिए आंखों को शटडाउन करा सोने को मजबूर कर देती है।

...और फिर जब एक नई सुबह, एक नए ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ हम अपनी जीवन यात्रा फिर से शुरू करते हैं तब लगता है कि यह फॉर्मेटिंग कितनी जरूरी थी।

-यशवन्त माथुर ©
07 अगस्त 2022 

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