संस्थानों में
वरिष्ठ पदों पर आसीन
कुछ लोग
या तो
कनिष्ठों से होते हैं मित्रवत
दी गई सीमा के भीतर
उनसे काम करा लेने वाले
उनके दिल में
एक खास मुकाम बनाने वाले
या होते हैं
इस कदर टेढ़े
कि मुस्कुराते हुए भी
दिखा ही देते हैं
अपनी अकुशलता के प्रतिरूप.....
क्योंकि
उनको भाता है
अपने कार्मिकों के
आपस की
हर बात पर
प्रतिबंध लगाना ...
क्योंकि
वह सिर्फ चाहते हैं
अपने इशारों पर नचाना
और क्योंकि
अपने हल्के होते
कार्यभार के कारण
उनके पास बचता नहीं
अपने लिए
कोई भी बहाना।
ऐसे लोग
अपने निहित स्वार्थ के लिए
कुछ समय को
कर सकते हैं
किसी एक
सीधे-सच्चे इंसान को
अस्थिर और परेशान
लेकिन
खुद के बोए काँटों पर चलना
शायद उनके लिए भी
नहीं होता आसान।
21082022