16 November 2022

कह दो मन की बातों को



इससे पहले कि प्रलय आकर,
बंद कर दे सब दरवाजों को।
इससे पहले कि पलकें खुलकर
भूलें सारे ख्वाबों को।
कह दो मन की बातों को।।

इससे पहले कि सुबह आ कर
मिटा दे बीती शामों को
इससे पहले कि साथ छूटे
कुछ पल थाम लो हाथों को।
कह दो मन की बातों को।

इससे पहले कि दर्पण टूटे
बह जाने दो आंसु को।
इससे पहले कि किरचे बिखरें
फैला दो अपनी बाहों को।
कह दो मन की बातों को।

इससे पहले कि तस्वीर बनो
बन जाने दो तकदीरों को
ठुकराए जाने के पहले
लिख दो प्रेम की तकरीरों को।

इससे पहले कि सावन बरसे
पत्तों को झर जाने दो।
कह दो मन की बातों को।
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- यशवन्त माथुर©
16112022

4 comments:

  1. आशा और विश्वास जगाता सुंदर सृजन

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-11-2022) को   "माता जी का द्वार"   (चर्चा अंक-4615)     पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  3. बहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति, वाह!

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  4. आज और अभी में जीवन को जीना ही सुंदर और सार्थक जीवन कला है।

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